भगवान विष्णु का प्रथम अवतार - मतस्य अवतार
मत्स्य अवतार अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में प्रथम अवतार धर्म-संप्रदाय हिंदू धर्म प्राकृतिक स्वरूप मत्स्य (मछली) शत्रु-संहार दैत्य 'हयग्रीव' संदर्भ ग्रंथ मत्स्य पुराण संबंधित लेख सत्यव्रत जयंती चैत्र में शुक्ल पक्ष की तृतीया मत्स्य अवतार भगवान विष्णु के प्रथम अवतार है। मछली के रूप में अवतार लेकर भगवान विष्णु ने एक ऋषि को सब प्रकार के जीव-जन्तु एकत्रित करने के लिये कहा और पृथ्वी जब जल में डूब रही थी, तब मत्स्य अवतार में भगवान ने उस ऋषि की नाव की रक्षा की। इसके पश्चात् ब्रह्मा ने पुनः जीवन का निर्माण किया। एक दूसरी मन्यता के अनुसार एक राक्षस ने जब वेदों को चुरा कर सागर की अथाह गहराई में छुपा दिया, तब भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण करके वेदों को प्राप्त किया और उन्हें पुनः स्थापित किया। मत्स्य अवतार की कथा एक बार ब्रह्माजी की असावधानी के कारण एक बहुत बड़े दैत्य ने वेदों को चुरा लिया। उस दैत्य का नाम 'हयग्रीव' था। वेदों को चुरा लिए जाने के कारण ज्ञान लुप्त हो गया। चारों ओर अज्ञानता का अंधकार फैल गया और पाप तथा अधर्म का बोलबाला हो गया। तब भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा